Top 10 Places to visit in Varanasi
भारत की
आध्यात्मिकता और संस्कृति
का अनुभव करना
चाहते हैं तो
आपको अवश्य ही
उत्तर प्रदेश के
प्रमुख शहर वाराणसी
आना चाहिए । वाराणसी को विश्व
के प्राचीनतम शहरों
में से एक
माना जाता है
। वाराणसी
हिंदुओं के साथ
सबसे पवित्र शहरों
(सप्तपुरी) में से
एक है वाराणसी
को “काशी” और
“बनारस” के नाम
से भी जाना
जाता है । वाराणसी को “गलियों
का
शहर”
और “सिटी ऑफ लाइट्स” भी कहा
जाता है।
“बनारस
इतिहास
से
भी
पुराना
है
परंपरा
से
भी
पुराना
है
किवदंती
से
भी
पुराना
है
और
सभी
के
साथ
2 गुना
पुराना
दिखता
है” - मार्क जैन
वाराणसी में अगर आप घूमने आना चाहते हैं और अपने समय का भरपूर उपयोग करना चाहते हैं तो हम आपको बताएंगे कि आपको कहां जाना है और कौन सी ऐसी जगह है जहां पर जाकर आपकी यात्रा पूर्ण होगी ।
1. Kashi Vishwanath temple (काशी विश्वनाथ मंदिर)
वाराणसी में पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है । किस वजह से वाराणसी को भगवान शिव की नगरी के रूप में भी जाना जाता है । भगवान शिव का यह मंदिर इतिहास में कई बार तोड़ा गया और कई बार इसका जीर्णोद्धार किया गया । मंदिर का गुंबद सोने की परत से ढका हुआ है ।सावन के महीने में और शिवरात्रि के दिन यहां भक्तों की बहुत ही लंबी लाइन लगती है । ऐसा माना जाता है जो एक बार यहां भगवान शिव का दर्शन करता है और गंगा नदी में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है । मंदिर प्रांगण के समीप ही मां अन्नपूर्णा का भी मंदिर है, धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव के दर्शन पश्चात मां अन्नपूर्णा के दर्शन भी अनिवार्य हैं।
2. Dashashwamedh Ghat (दशाश्वमेध घाट और गंगा आरती दर्शन)
दशाश्वमेध घाट वाराणसी में गंगा नदी का सबसे प्रमुख घाट है जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है । घाट पर स्नान करने व अनुष्ठान करने का विशेष महत्व है । घाट का मुख्य आकर्षण यहां पर होने वाली संध्याकालीन गंगा आरती है। भगवा परिधानों में सजे घाट और पुजारियों के मंत्रोच्चार के साथ गंगा आरती यहां आने वाले पर्यटकों और भक्तों का मन मोह लेती है । आरती के पश्चात हजारों भक्त हजारों जलते दिए नदी में प्रवाहित करते हैं और इस दृश्य को और मनमोहक करते हैं । गंगा नदी में नौका विहार का भी अपना ही आनंद है और नाव के ऊपर से ही आप वाराणसी के अन्य घाटों के दृश्य भी देखते हैं जिनमें हरिश्चंद्र घाट, मणिकर्णिका घाट, अस्सी घाट और तुलसी घाट प्रमुख है ।
3. Sankat Mochan Temple (संकट मोचन मंदिर)
वाराणसी का संकट मोचन मंदिर शहर मैं इस्थित लोगों के लिए एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है । मंदिर परिसर में बहुत सारे बंदर देखने को मिलते हैं । संकट मोचन मंदिर का निर्माण पंडित मदन मोहन मालवीय ने कराया था जिसकी स्थापना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी । हनुमान जयंती पर मंदिर में दर्शन का विशेष महत्व है अगर आप वाराणसी आते हैं तो अवश्य संकट मोचन मंदिर जाएं । यहां पर स्थित हरियाली और शांत वातावरण युक्त परिसर सकारात्मकता उत्पन्न करता है। यहां दिन में दो बार आरती होती है प्रातः 4:00 बजे और संध्याकाल 9:00
वाराणसी रेलवे स्टेशन और काशी विश्वनाथ मंदिर से रिक्शा द्वारा आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।
4. Durga Temple (दुर्गा मंदिर)
संकट मोचन मंदिर से कुछ दूर लाल रंग के पत्थर से निर्मित दुर्गा मंदिर है जिसे “मंकी टेंपल” के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर बंदरों की संख्या बहुत ही अधिक है । मंदिर के दाएं और एक खूबसूरत तालाब भी है जिसे दुर्गाकुंड के नाम से भी जानते हैं । कुंड के चारों तरफ पत्थर की सीढ़ियां हैं और चार कोनों पर घड़ी युक्त खंभे हैं । रात्रि के समय प्रकाशमय जलाशय बहुत ही खूबसूरत दिखता है।
5. Tulsi Manas Temple (तुलसी मानस मंदिर)
अगर आप वाराणसी भ्रमण पर आए हैं या आना चाहते हैं तो तुलसी मानस मंदिर अवश्य जाएं । यह वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है । यह मंदिर दुर्गा मंदिर के बहुत ही करीब है । सन 1964 में निर्मित यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है और साथ ही यहां एक सुंदर बगीचा भी है । तुलसी मानस मंदिर भगवान राम को समर्पित है। यह माना जाता है कि मंदिर उसी स्थान पर बना है जहां गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी ।
6. Sarnath (सारनाथ)
सारनाथ वाराणसी से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बौद्ध एवं जैन संस्कृति का गंतव्य है । सारनाथ में ही गौतम बुद्ध ने सबसे पहले धर्म की शिक्षा दी थी और तभी से बौद्ध संघ की उत्पत्ति हुई । सारनाथ वाराणसी का सबसे ऐतिहासिक स्थल भी है । यहां का शांत स्वच्छ और सुंदर वातावरण मन और शरीर को विश्राम देता है यहां पर आप बोधि वृक्ष के दर्शन कर सकते हैं । सारनाथ के समीप हिरण पार्क भी है जहां की सैर आप कर सकते हैं । साथ ही 80 फिट ऊँची बुद्ध प्रतिमा के दर्शन करना ना भूले।
7. Dhamekh Stupa (धमेख स्तूप)
सारनाथ के समीप ही बौद्ध धर्म में खास महत्व रखने वाला धमेख स्तूप भी है। यह ईट का बना हुआ 43.6 मीटर ऊंचा और 28 मीटर चौड़ा स्तूप है । इसे “धर्म चक्र स्तूप” भी कहा जाता है । इसका निर्माण सम्राट अशोक ने कराया था । इस स्तूप में भगवान बुद्ध के चित्र भी अंकित हैं । ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से धमेख स्तूप का एक खास महत्व है।
8. Archaeological Museum (आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम)
धमेख स्तूप की कुछ ही दूरी पर ऐतिहासिक पुरातत्व विभाग का संग्रहालय भी है जो पुरातत्विक खंडहरों के पास स्थित है। यह शनिवार से गुरुवार तक 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुलता है। संग्रहालय में ही आप सारनाथ में अवशेष के रूप में स्थित अशोक स्तंभ के प्रदर्शनी को भी देख सकते हैं। वही अशोक स्तंभ जिसे हम भारतीय नोटों पर अंकित या छपा हुआ देख सकते हैं।
9. New Vishwanath Temple (न्यू विश्वनाथ टेंपल)
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित विश्वनाथ मंदिर को “न्यू विश्वनाथ मंदिर” एवं “बिरला मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है ।यह मंदिर अपनी खूबसूरती और आकर्षक बनावट की वजह से शहर के बड़े पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह मंदिर विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर है जिसकी ऊंचाई लगभग 253 फीट है ।श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण में लगभग 35 वर्षों का समय लगा । इसका डिजाइन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से प्रेरित है और ज्यादातर संगमरमर से बना हुआ है।
10. Kaal Bhairav Temple (काल भैरव मंदिर)
“काशी के कोतवाल” के नाम से प्रसिद्ध वाराणसी का काल भैरव मंदिर शहर का सबसे प्राचीन मंदिर है। काल भैरव मंदिर काशी के विशेश्वरगंज में स्थित है। काल भैरव को भगवान शिव के रूद्र रूप के तौर पर जाना जाता है और इनका दर्शन किए बिना बाबा विश्वनाथ का दर्शन अधूरा रहता है।
तो यह थी वाराणसी की कुछ मुख्य जगह जहां पर किसी भी पर्यटक को अवश्य जाना चाहिए। इन जगहों के अतिरिक्त भी अन्य कई जगह हैं जहां आप जा सकते हैं जैसे कि कबीर मठ, भारत माता मंदिर, रामनगर फोर्ट, मृत्युंजय महादेव मंदिर, व्यास टेंपल आदि इन सभी जगहों के बारे में हम अपने ब्लॉग पर बीच-बीच में जिक्र करते रहेंगे हमारे आगे के पोस्ट में हम आपको बताएंगे बनारस की कुछ ऐसी खानपान की जगहों के बारे में तो तब तक के लिए धन्यवाद मिलते हैं आगे की जानकारी के साथ।
0 Comments