Uttarakhand Char Dham Yatra | Yamunotri Dham Yatra | Episode 1
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका ट्रेवल टर्न में एक नई ट्रैवल डेस्टिनेशन के साथ |
आज के ब्लॉग में हम शुरू करने वाले हैं उत्तराखंड के चार धाम यात्रा की तो बने रहिए हमारे साथ चार धाम यात्रा के सफर पर |
हिंदू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है और कहा जाता है कि सभी व्यक्तियों को अपने जीवन काल में अवश्य ही एक बार मोक्ष की प्राप्ति हेतु चार धाम यात्रा करनी चाहिए | वैसे आपको बताते चलते हैं कि भारत के चार धामों में जगन्नाथ पुरी, द्वारिका पुरी धाम, रामेश्वरम मंदिर और बद्रीनाथ धाम शामिल है लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति इन सभी धाम जाने में सक्षम नहीं है वह उत्तराखंड के चार धामों का दर्शन कर सकता है | जिनमें शामिल है- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ चलिए |
बढ़ते हैं आगे की ओर अपनी चार धाम की यात्रा पर:
चार धाम यात्रा भक्तों के लिए मई के महीने में शुरू होती है और चार धामों के कपाट शीतकालीन समय में भक्तों के लिए बंद हो जाते हैं | आप चार धाम यात्रा के लिए मई से लेकर नवंबर महीने तक कभी भी जा सकते हैं लेकिन यहां दर्शन और यात्रा का बेस्ट समय सितंबर का महीना होता है क्योंकि इस टाइम भीड़ भी थोड़ी कम हो जाती है और मौसम भी अनुकूल हो जाता है | जुलाई और अगस्त बारिश की वजह से यात्रा के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं बारिश की वजह से तीर्थ यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | चारधाम यात्रा को 90% लोग 9 से 10 दिनों में पूरी करते हैं वह इस प्रकार होती है:
तो इस प्रकार आप अपनी यात्रा 9 से 10 दिनों में पूरी कर सकते हैं तो चलिए हम शुरू करते हैं अपनी चार धाम यात्रा पहले धाम "यमुनोत्री" से | चार धाम यात्रा के लिए हम बस द्वारा, मिनी बस द्वारा, प्राइवेट टैक्सी द्वारा जा सकते हैं, जो आसानी से रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन के बाहर से मिल जाते हैं | आप अपनी सुविधा अनुसार और बजट के अनुसार ट्रैवल एजेंट के द्वारा यात्रा के साधनों की एडवांस बुकिंग करवा के भी जा सकते हैं |हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी लगभग 230 किलोमीटर की है और रास्ते में बहुत सारे Scenic View छोटे-छोटे अन्य मंदिर भी पढ़ते हैं जहां रुकने पर समय कैसे गुजर जाता है पता ही नहीं चलता |
यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए सबसे पहले जानकी चट्टी पहुंचना होता है जो कि वाहनों का अंतिम पड़ाव है | यहां से यमुनोत्री धाम के लिए पैदल रास्ता है जिसकी दूरी जानकीचट्टी से लगभग 6 किलोमीटर की चढ़ाई है | चढ़ाई के लिए पैदल यात्रा के साथ-साथ अन्य साधन भी उपलब्ध है जैसे पालकी, घोड़े और पिट्ठू आदि | लगभग 3 घंटे की थकावट भरी लेकिन खूबसूरत पहाड़ी रास्ते से होते हुए जैसे ही यमुनोत्री धाम के दर्शन होते हैं थकावट मानो मिनटों में ही दूर हो जाती है | यमुनोत्री धाम से कालिंदी पर्वत श्रृंखलाओं का विहंगम दृश्य दिखाई देता है |
यमुनोत्री धाम में यमुना नदी का उद्गम स्थल है, जो की सूर्यदेव की पुत्री हाइंज और याम की बहन | मंदिर से यमुना नदी का उद्गम स्थल 1.5 KM की दुर्गम चढ़ाई पे स्थित है,जहाँ पहुंचना आम आदमी के लिए मुश्किलों भरा है| यमुनोत्री की एक और विशेषता है कि यहां पर चारों ओर मौसम ठंडा होने के बावजूद यहां एक गर्म पानी का कुंड है जिसे "सूर्यकुंड" भी कहते हैं | कुंड के गर्म पानी में स्नान करते ही शरीर की थकावट दूर हो जाती है | यमुनोत्री धाम परिसर में भक्तगण कपड़े में बांधकर चावल और आलू गर्म पानी में डाल देते हैं जो कि थोड़ी ही देर पक जाते हैं हैं और यहां पर यही यही प्रसाद स्वरुप मिलता है |
यमुनोत्री धाम की मान्यता है जो भी व्यक्ति यहां स्नान और दान करता है उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है | यमुनोत्री "यमदेव" की बहन है इसलिए यमुनोत्री की उपासना यमदेव भी प्रसन्न रहते हैं | यमुनोत्रीधाम की यात्रा में सभी भक्तों को खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता वाले पहाड़ों के दर्शन होते हैं और मन को प्रफुल्लित करते हैं | यमुनोत्री धाम के दर्शन पश्चात् यात्रियों को वापस जानकीचट्टी पहुंचना होता है और वहां से चार धाम की यात्रा गंगोत्री धाम की ओर आगे बढ़ती है |
जिसका वर्णन विस्तार से हम अपने आगे के ब्लॉग में करेंगे तो चलिए हमारे साथ चार धाम की यात्रा पर धन्यवाद !
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